जम्मू-कश्मीर में अलग झंडे के वादे के समर्थन में खड़ी कांग्रेस

 

लखनऊ। 10 साल बाद जैसे-जैसे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों में गतिविधियाँ तेज हो रही हैं। सत्ता के लालच में राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी ने अब्दुल्लाह परिवार की नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन कर लिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हमेशा धारा 370, जम्मू-कश्मीर में अलग झंडा, आतंकवाद, अलगाववाद और पाकिस्तान का समर्थन किया है। कश्मीर के युवाओं के बदले पाकिस्तान के साथ बातचीत करना, आतंकवादियों के परिजनों को नौकरी देना और अलगाववाद को बढ़ावा देना नेशनल कॉन्फ्रेंस की राजनीति रही है।

क्या ऐसे में यह मान लेना चाहिए कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में अलग झंडे का समर्थन कर रही है? देश के बँटवारे में कांग्रेस की मुख्य भूमिका रही है और इस चुनाव में गठबंधन ने एक बार फिर कांग्रेस के मंसूबों को देश के सामने ला खड़ा किया है। भारतीय राजनीति को नई पहचान दिलाने और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने वाले राजनेता अमित शाह ने राहुल गांधी को कठघड़े में खड़ा करते हुए अपने सवालों के बाण दागे हैं। सत्ता की लालची और देश की एकता को भंग करने वाली कांग्रेस पार्टी और अलगाववादी नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन पर शाह ने जोरदार हमला करते हुए राहुल गांधी और कांग्रेस को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और भारतीय राजनीति के चाणक्य अमित शाह का मानना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ कांग्रेस का गठबंधन इस बात का संकेत है कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में फिर से अलग झंडे के वादे, धारा 370 की बहाली और जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकवाद व अलगाववाद के युग की शुरुआत के समर्थन में खड़ी है। शाह ने पाकिस्तान के साथ व्यापार शुरू करने के नेशनल कॉन्फ्रेंस के निर्णय पर भी कांग्रेस से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। जम्मू-कश्मीर, भारत का एक ऐसा हिस्सा जो आजादी के बाद दशकों तक आतंकवाद और अलगाववाद का दंश झेलता रहा।

कांग्रेस, अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ्ती जैसे तीन परिवारों की राजनीति में धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर बम के धमाकों और दहशत के साये में पलता रहा। बँटवारे की समर्थक कांग्रेस ने धारा 370 और 35ए लगाकर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग-थलग कर दिया, जहाँ दशकों तक दो विधान, दो निशान और दो प्रधान की परंपरा चलती रही।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 और 35ए को निरस्त करने का ऐतिहासिक व साहसिक फैसला लिया गया जिसके बाद दो विधान, दो निशान और दो प्रधान की परंपरा खत्म हो गई और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया। हालिया वर्षों में मोदी जी की दूरदर्शिता और अमित शाह की रणनीतियों से यह तो स्पष्ट है कि कांग्रेस एक बार फिर इस देश का बँटवारा नहीं कर सकती है।

AM News
Author: AM News

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