दक्ष प्रजापति ने सती और शिव के विवाह का विरोध क्यों किया?

दक्ष प्रजापति, जो सती के पिता थे, कई कारणों से सती का विवाह भगवान शिव से नहीं करना चाहते थे। इसके पीछे मुख्यतः धार्मिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत कारण थे, जिसमें उनके अहंकार और शिव की असाधारण जीवनशैली के प्रति उनकी असहमति प्रमुख थी।

भगवान शिव तपस्वी और साधारण जीवन व्यतीत करने वाले देवता थे, जो पर्वतों पर निवास करते थे, शरीर पर भस्म लगाते थे, और गले में सर्प धारण करते थे। दक्ष, जो वैदिक परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं के अनुयायी थे, शिव की इस अपरंपरागत जीवनशैली को राजसी मानकों के अनुरूप नहीं मानते थे।

दक्ष स्वयं को अत्यधिक प्रतिष्ठित और शक्तिशाली व्यक्ति मानते थे, क्योंकि वे प्रजापति थे और सृष्टि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उनकी दृष्टि में, भगवान शिव एक ऐसे देवता थे जो सामाजिक नियमों का पालन नहीं करते थे और जिन्हें वह अपनी बेटी के लिए उपयुक्त वर नहीं समझते थे।

दक्ष का अहंकार भी एक मुख्य कारण था। वे अपने अधिकार, शक्ति और वैदिक अनुष्ठानों पर अत्यधिक गर्व करते थे। शिव ने कभी भी दक्ष की प्रतिष्ठा और शक्ति के आगे झुकने का प्रयास नहीं किया, जिससे उनके अहंकार को ठेस पहुंची।

दक्ष प्रजापति ने स्पष्ट रूप से सती और शिव के विवाह का विरोध किया। हालांकि, सती शिव से गहरा प्रेम करती थीं और उनसे ही विवाह करना चाहती थीं। अंततः, दक्ष की असहमति और अपमान ने दक्ष यज्ञ की घटना को जन्म दिया, जहां सती ने अपने पिता द्वारा शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण आत्मदाह कर लिया।

(डॉ सुमित्रा अग्रवाल)

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Author: AM News

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