पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, 51 शक्तिपीठों में से एक हिंगुला शक्तिपीठ वह स्थान है, जहां सती का सिर (या भाल) गिरा था। यह पवित्र तीर्थस्थल आज के पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है और हिंगलाज शक्तिपीठ के नाम से भी प्रसिद्ध है।
इस शक्तिपीठ में हिंगलाज माता या कोटरी देवी की पूजा होती है, जिन्हें सती का प्रतीक माना जाता है। यहां भैरव देव को भीमलोचन कहा जाता है। भैरव देवता शक्तिपीठों के रक्षक माने जाते हैं, और हर शक्तिपीठ में उनकी उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है।
यह स्थल शक्ति उपासकों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है, और राजस्थान व गुजरात समेत पूरे भारत से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।