जयशंकर ने कहा कि भारत-आसियान साझेदारी अब अपने चौथे दशक में है और इसमें अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय संबंधों ने दोनों पक्षों को करीब लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारत की प्रतिबद्धता : जयशंकर ने भारत की ओर से डिजिटल, ऊर्जा और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि भारत के वैश्विक क्षमता केंद्र, औद्योगिक पार्क, और कौशल और शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास आसियान साझेदारी को और गहरा करेंगे।
सिंगापुर में द्विपक्षीय बैठकें : विदेश मंत्री ने सिंगापुर में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं दीं। इसके अलावा, उन्होंने प्रौद्योगिकी, कौशल और औद्योगिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए सार्थक चर्चा की।
साथ ही, उन्होंने सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम से भी मुलाकात की और वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया। सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन से हुई बैठक में उन्होंने रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की सराहना की और क्षेत्रीय तथा वैश्विक विकास के बारे में अपने दृष्टिकोण साझा किए।
हिंद-प्रशांत सुरक्षा : जयशंकर ने सिंगापुर के रक्षा मंत्री एनजी इंग हेन से भी मुलाकात की, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की गई।
इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत-आसियान संबंधों को और मजबूत करने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच संवाद और सहयोग बढ़ रहा है, जो आगामी समय में और भी प्रभावी हो सकता है।