जैनुल आब्दीन
कोरडेट फूलपुर में खेतों की मिट्टी की जांच निःशुल्क की जाती है। कृषि गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य हरिश्चंद्र ने किसानों को अच्छी फसल उत्पादन के लिए डीएपी खाद का विकल्प बताया। खासकर तिलहनी फसलों के लिए डीएपी व एनपीके खाद के स्थान पर सल्फर युक्त फास्फेटिक खादों का प्रयोग करने की सलाह दी है। इसके अतिरिक्त उन्होंने किसानों को नैनो डीएपी तरल तथा जैव उर्वरक से 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधन करके बोआई करने पर 50% डीएपी की मात्रा को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही फसल बोने के 30 से 35 दिन के उपरांत नैनो डीएपी तरल व नैनो यूरिया तरल को चार मिली पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने की सलाह देते हुए अधिक उपज प्राप्त करने के लिए बोआई के समय 10 किलोग्राम सागरिका दानेदार प्रति एकड़ प्रयोग कर डीएपी की बचत कर सकतें हैं।
उन्होंने बताया कि रबी फसलों की बोआई के लिए किसान केवल डीएपी उर्वरक पर ही निर्भर ना रहे । इसके स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट,म्यूरेट आफ पोटाश तथा यूरिया को मिलाकर प्रयोग करें। उन्होंने इफको एवं कोरडेट के द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी भी दी। इसी क्रम में कोरडेट के जैव उर्वरक इकाई के प्रभारी राजेश कुमार सिंह ने आधुनिक कृषि में जैव उर्वरकों एवं जैव अप घटकों के प्रयोग की जानकारी विस्तार से देते हुए अपील की,कि किसान भाई अपने खेतों में पराली को जलाएं न बल्कि जैव अप घटकों के प्रयोग से उसको खेत में ही सड़ा कर खाद बना दें। इस अवसर पर उपस्थित कृषकों को सब्जी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उच्च गुणवत्ता युक्त टमाटर, बैंगन, मिर्च व गोभी के पौध भी निःशुल्क वितरित किए गए।
कार्यक्रम मे रवि प्रताप सिंह,रणजीत सिंह,जगदीश नारायण मिश्र,महेंद्र यादव, यदुनाथ यादव,जगदंबा प्रसाद तिवारी,सूबेदार भारत सहित भारी संख्या में कृषक मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अंत में आईआरडीपी के प्रभारी मुकेश तिवारी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।